दुःख की यह घड़ी है
विपदा आन पड़ी है,
सब विपदाओं से लड़ना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा|
लोकतंत्र की काया है
राजनीति की माया है,
दुष्टों को अब दलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा|
चाहे पढ़ लें वेद रामायण
या कर लें सारे सुर गायन,
छलियों को अब छलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा|
कदम मिलाकर चलना होगा